Wheat Price: गेहूं की बुवाई ने बनाया रिकॉर्ड, इस साल कम हो सकती है बढ़ती दाम की टेंशन पिछले तीन सालों से देश में गेहूं का भाव उसके एमएसपी से ज्यादा है। ऐसे में किसानों ने गेहूं की खेती का रकबा बढ़ा दिया है। जिससे इसके बंपर उत्पादन की उम्मीद है। इस बीच केंद्र सरकार ने वर्ष 2025-26 के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2425 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, जबकि प्रति क्विंटल औसत लागत 1182 रुपये आती है।
इस साल रबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं की बुआई ने रिकॉर्ड बनाया है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के मुताबिक 31 जनवरी तक देश में 324.88 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुआई हो चुकी है, जो 2023-24 की समान अवधि से 6.55 लाख हेक्टेयर ज्यादा है। इस बार गेहूं की बंपर बुआई हुई है। यह अंतिम आंकड़ा है। अभी इससे ज्यादा उत्पादन की उम्मीद है। हालांकि, इससे गेहूं की बढ़ती कीमत को लेकर टेंशन कम हो सकती है।
उत्पादन पर पड़ रहा है असर –
पिछले सालों की तुलना में हर सीजन में गेहूं की बुवाई में करीब 2 हफ्ते की देरी हो रही है और इस साल भी समय पर बुवाई (गेहूं की खेती) नहीं हो पाई। खराब मौसम के कारण गेहूं की खेती प्रभावित हो रही है। फरवरी में ही तापमान बढ़ने लगता है और बालियां सूख जाती हैं। बीजों का सही प्रबंधन न होने के कारण पैदावार भी कम हो रही है।
गेहूं उत्पादन प्रभावित हुआ है
गर्मी और असामान्य रूप से गर्म मौसम ने 2022 और 2023 में भारत के गेहूं उत्पादन को प्रभावित किया है। इससे सरकारी स्टॉक में भारी कमी आई है। पिछले हफ़्ते दिल्ली में गेहूं की कीमतें 32,000 रुपये प्रति टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गईं। अप्रैल में यह 25,000 रुपये थी। गेहूं की कीमतें पिछले सीजन की फसल के लिए सरकार द्वारा तय किए गए 22,750 रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से बहुत अधिक हैं।